A2Z सभी खबर सभी जिले कीUncategorized

भारत की नन्ही योगिनी ने विश्व मंच पर रच दिया नया इतिहास साँसों की लय

भारत की नन्ही योगिनी ने विश्व मंच पर रच दिया नया इतिहास

साँसों की लय में गूँजा भारत का आत्मबोध

जब अधिकांश बच्चे खेल-कूद और खिलौनों में मग्न रहते हैं, उस उम्र में यदि कोई बच्चा ध्यान, साधना और योग की ओर अग्रसर हो—तो निश्चय ही वह आत्मा असाधारण है।

दिल्ली की 7 वर्षीय वान्या शर्मा ऐसी ही एक दिव्य विभूति हैं, जिन्होंने “प्रेस्टीजियस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” में 13वां विश्व रिकॉर्ड दर्ज कर भारत के गौरवगान में एक नया अध्याय जोड़ा है। इस उपलब्धि के साथ उन्हें “Pride of the Nation” की उपाधि से नवाज़ा गया है।

Related Articles

बचपन में ही साधना का तेज

जहाँ बचपन खिलौनों, कहानियों और चंचलता का पर्याय माना जाता है, वहाँ वान्या का जीवन मंत्र, ध्यान और योग की साधना से प्रकाशित है। मात्र 2 वर्ष की उम्र में योग का पहला चरण स्पर्श करने वाली वान्या ने आज एक ऐसी ऊँचाई को छू लिया है जहाँ से उनका हर प्रयास, हर अभ्यास, हर संकल्प — पूरे विश्व को प्रेरित करता है।

एस.डी. पब्लिक स्कूल, पीतमपुरा की द्वितीय कक्षा की यह बालिका हर सुबह सूरज की पहली किरण के साथ सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और ध्यान में लीन होती है — ऋतुएँ बदलती हैं, पर उसका अभ्यास कभी नहीं डगमगाता।

संस्कारों से संबल: परिवार की भूमिका

वान्या के माता-पिता — श्री हेमंत शर्मा और श्रीमती हिमानी शर्मा — स्वयं योग और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के साधक हैं। उनका स्नेह, अनुशासन और मार्गदर्शन वान्या की चेतना में इस तरह समाया है कि आज वह केवल एक बेटी नहीं, संस्कृति की बालदूत बन चुकी हैं।

रिकॉर्ड्स से परे एक साधक का तेज

13 विश्व रिकॉर्ड्स — जिनमें गिनीज़ बुक, एशिया बुक, 2 इंडिया बुक, यूनिवर्सल बुक, इंटरनेशनल,यूनिवर्सल वर्ल्ड रिकॉर्ड ,जीनियस बुक,कल्कि वर्ल्ड रिकॉर्ड्स जैसे प्रतिष्ठित मंच शामिल हैं — वान्या की उपलब्धियाँ मात्र संख्यात्मक नहीं, एक साधक के अनुशासन, आस्था और समर्पण की प्रतीक हैं।

उनका जीवन सूत्र है: “अहं ब्रह्मास्मि” — मैं ब्रह्म हूँ, मैं ही चेतना हूँ।

सम्मानों की माला, प्रेरणा की गाथा

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अवार्ड, रतन टाटा मेमोरियल अवार्ड, ग्लोबल फेम अवार्ड, शहीद भगत सिंह नोबल अवार्ड जैसे अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित वान्या के हिस्से में न केवल पदक हैं, बल्कि हजारों हृदयों की प्रार्थनाएँ और आशीर्वाद भी हैं।

सेवा में समर्पण: योग से जन-जन तक

“Yoga for Har Ghar” अभियान की संयोजिका के रूप में वान्या दिव्यांग बच्चों के साथ योग का सेतु बना रही हैं — एक ऐसा संवाद जो शरीर से नहीं, आत्मा से होता है।

नेपाल सहित अनेक देशों में उनके वर्चुअल योग सत्र भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर सशक्त रूप में प्रतिष्ठित कर रहे हैं।

उनकी वाणी से निकला एक विचार आज मंत्र बन चुका है:

“योग शरीर नहीं, चेतना को लचीला बनाता है।”

भविष्य की दृष्टि: “Yoga Littles” और “स्वस्थ भारत”

वान्या का अगला स्वप्न है — “Yoga Littles” — एक डिजिटल मंच जहाँ बच्चे खेल-खेल में योग से जुड़ें, और जीवन को नई दिशा दें।

साथ ही, वह “स्वस्थ भारत” नामक एक डॉक्युमेंट्री पर कार्य कर रही हैं जो आयुर्वेद, योग और भारतीय परंपरा को नई दृष्टि और वैश्विक स्वरूप प्रदान करेगी।

वह कल्कि फाउंडेशन की ब्रांड एम्बेसडर के रूप में भी समाजिक चेतना का प्रसार कर रही हैं।

वान्या शर्मा: एक दीप नहीं, संकल्प की मशाल

वान्या अब केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक युग की पुकार हैं — एक चेतना, जो कहती है:

“बदलाव उम्र से नहीं, दृष्टिकोण से आता है।”

आज हमें यह विचार करना होगा — क्या हम अपने बच्चों को केवल अंकों की होड़ में धकेल रहे हैं, या उन्हें वह ज्ञान दे रहे हैं जो जीवन को पूर्ण, पवित्र और सार्थक बनाता है?

वान्या शर्मा — एक नन्हा दीप, जो अपने प्रकाश से सम्पूर्ण विश्व को योग, साधना और संस्कृति की ओर आलोकित कर रहा है।

Back to top button
error: Content is protected !!